फिल्म एक्ट्रेस आलिया भट्ट और निर्देशक पिता महेश भट्ट की ‘सड़क 2′ आईएमडीबी पर सबसे खराब रेटिंग वाली फिल्म बनी है। फिल्म का ट्रेलर YouTube पर सबसे ज्यादा नापसंद किया जाने वाला ट्रेलर बन गया थाl अब यह फिल्म IMDb पर सबसे खराब रेटिंग वाली फिल्म बन गई है। सड़क 2 हाल ही में रिलीज़ हुई हैंl इसे IMDb की वेबसाइट पर 1.1 रेटिंग मिली हैl 10000 से अधिक वोटों के आधार पर फिल्म वर्तमान में IMDb पर सबसे खराब फिल्मों में शामिल है।
इस फिल्म की निकटतम प्रतिद्वंद्वी 2015 की एक तुर्की फिल्म हैl जिसका नाम कोड: K.O.Z है, जिसकी रेटिंग 1.3 है। सड़क 2 को आलोचकों द्वारा भी खराब रेटिंग दी गई है। हालांकि IMDb पर फिल्म की केवल 15 पंजीकृत यूजर्स की समीक्षाएं हैं। एक समीक्षा में लिखा था’ पूरी कचरा फिल्म।’ एक अन्य उपयोगकर्ता ने लिखा, ‘क्या यह फिल्म एक मजाक है या क्या !!!’ महेश भट्ट द्वारा निर्देशित फिल्म में उनकी बेटी आलिया भट्ट, पूजा भट्ट, संजय दत्त और आदित्य रॉय कपूर की अहम भूमिका हैl
कहानी सीधी है, मगर स्क्रीनप्ले इतना उलझा दिया गया है कि कुछ वक़्त तक समझ नहीं आता कि फ़िल्म कहां जा रही है। संजय दत्त और आलिया के शुरुआती दृश्य कन्फ्यूज़ करते हैं। इनके संवाद से लगता है, आर्या रवि की बेटी होगी। हालांकि बाद में तस्वीर साफ़ होने लगती है। मगर, तब तक फ़िल्म ऊबाऊ हो चुकी होती है और एक बेहद घिसे-पिटे ढर्रे पर चल पड़ती है। समझ नहीं आता सड़क एक इमोशनल फिल्म है या थ्रिलर है।
आर्या अपनी यात्रा के लिए रवि किशोर (संजय दत्त) की टैक्सी सर्विस ‘पूजा ट्रैवल्स एंड टुअर्स’ के यहां टैक्सी बुक करती है। यह बुकिंग तीन महीने पहले रवि की पत्नी पूजा ने की थी। एक हादसे में पूजा की मौत हो जाती है, जिसके बाद रवि गहरे अवसाद में चला जाता है और अपनी जान लेने की कोशिश भी कर चुका है। जब आर्या टैक्सी के लिए पहुंचती है तो वो मना कर देता है। किसी तरह आर्या उसे मना लेती है। फिर रवि, आर्या और उसके व्बॉयफ्रेंड विशाल (आदित्य रॉय कपूर) को लेकर यात्रा पर निकलता है। इस सफ़र के दौरान कुछ ऐसी घटनाएं होती हैं, जिनके बाद रवि, आर्या की मदद को अपनी ज़िंदगी का मक़सद बना लेता है।
संजय दत्त (Sanjay Dutt) को कुछ सीन्स में छोड़ दिया जाए तो अधिकतर एक्टर पूरी फिल्म में एक्सप्रेशनलेस रहते हैं. आलिया भट्ट (Alia Bhatt) और आदित्य रॉय कपूर पूरी फिल्म में लॉस्ट नजर आते हैं. ऐसा लगता ही नहीं है कि यह कोई फिल्म चल रही है. बेहद कमजोर एक्टिंग. मकरंद देशपांडे को बाबा बनाया गया है
फ़िल्म का संगीत बेहद साधारण है। सड़क के संगीत के आस-पास भी नहीं फटकता। कोई गीत आपके साथ देर तक नहीं रहता। फ़िल्म में एक दृश्य आता है, जब रवि अपने गैरेज में हम तेरे बिन कहीं रह नहीं पाते सुन रहा होता है। यह गीत फ़िल्म में एक राहत लेकर आता है और दिल करता है कि पूरा गाना सुनने को मिलता। वैसे अगर सड़क के गीत ही रीमेक करके इस्तेमाल किये जाते तो सड़क 2 ज़्यादा दिलचस्प बनती।
लगभग सवा दो घंटे की ‘सड़क 2’ ख़त्म होने के बाद ज़ेहन में यही ख़्याल आता है कि इससे तो बेहतर था, सड़क दूसरी बार देख लेते!